खनकता दर्द
दर्द की एक रंगीन मेहराब
उग आई है चुपके से
खुशियों की बगिया मैं
किसी अनकही टीस के सींचने पर|
गुलाबों की गंध के साथ मिलकर
आसमान से गिरे
ओंस के मोती भी
उस मेहराब की सिसकती
चमक बढ़ा रहे हैं
क्षितिज की पलकों पर
दर्द को खनका रहे है|
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